Friday, 31 May 2013

महाभारत जारी है



-१-

गली   हो   या  कूचा
युद्धक्षेत्र बना समूचा
घर हो गाँव कस्बा या शहर
तबाही मची है  आठों  प्रहर
सड़क हो  या  खेल का मैदान
राह रोके समक्ष खड़ा  शैतान
ठेका हो या अन्य  कोई व्यवसाय
मची है हाहाकार   और हाय-हाय
फैक्ट्री  हो  या  ऑफिस  या  हो  संसद  भवन
सर्वत्र गाली-गलौज लूट-खसोट मरण-मारण का है वातावरण

-२-

द्रौपदी का  कहाँ वहाँ हुआ था पूर्ण चीर-हरण
कहाँ हुई थी उसकी हत्या अथवा शील -हरण
सिर्फ सौ गालियों पर ही चला था चक्र-सुदर्शन
और अभद्र   शिशुपाल हुआ था मृत्यु को वरण
सिर्फ एक लाक्षागृह बना और जला था
वह             भी रहा था विफल-
पाँचों पांडव द्रौपदी कुंती सहित
उससे निकलने में हुए थे सफल -
सिर्फ एक था दुःशासन दुराचारी
लम्पट निर्दयी  और व्यभिचारी
वहाँ  एक  था  दुर्योधन   धोखेबाज़
असत्यवादी कपटी और चालबाज़
बाज़ी पलट पाशा फेंकने वाले
सिर्फ एक थे शकुनि मामा-
जिनके मन में था विद्वेष
और बदले की भावना -
एक था वहाँ  राजा धृतराष्ट्र अंधा
जो करता था   पुत्रवाद  का  धंधा

-३-

यहाँ तो हर घर गाँव राज्य और सम्पूर्ण देश
बना कौरव-पांडव  के  दो  दलों  का कुरुक्षेत्र
चीर-शील हरण  हत्या उपरांत द्रौपदियाँ निर्जीव सजी है
शकुनियों       दुःशासनों      दुर्योधनों     की  भीड़  लगी  है
युधिष्ठिरों अर्जुनों भीमों की नीति, मेधा , शक्ति हीन पड़ी है
काला चश्मा पहन धृतराष्ट्री-सरकार  मौन जड़ी   है

कृष्ण  को  कौन  पुकारे ,  न  किसी की जो उनसे यारी है
चीख-चीत्कारें कौन सुने,  विस्तारित महाभारत जारी है


अमर नाथ ठाकुर , ३० मई -२०१३ , कोलकाता .


मैं हर पल जन्म नया लेता हूँ

 मैं हर पल जन्म लेता हूँ हर पल कुछ नया पाता हूँ हर पल कुछ नया खोता हूँ हर क्षण मृत्यु को वरण होता हूँ  मृत्यु के पहले जन्म का तय होना  मृत्य...