दीपावली में जब दीये जलेंगे
कीड़े
सब मरेंगे
पुण्य खूब फलेंगे
पाप
सब कटेंगे ।
काले
बादल छटेंगे
सूर्य
रश्मियाँ बिखेरेगा
बसंत बहार छाने लगेंगे
उपवन
फूलों से सजेंगे ।
समय
पर ऑफिस खुलेंगे
जल्दी
सब काम निपटेंगे
बिना
मूल्य मुँह–मांगा काम करेंगे
मुस्कुरा
कर कर्मचारी प्रणाम करेंगे
सेवा
उपरांत धन्यवाद से मान करेंगे ।
दीपावली में जब दीये जलेंगे ।
न लूट आतंक की कोई खबर होगी
न कोई
हत्या और बलात्कार होगा ,
बातचीत
से हर समस्या हल होगी
हड़ताल
से न कोई सरोकार होगा ।
अस्पतालों
में दवाइयाँ मिलेंगी
डॉक्टर
ड्यूटी पर मिलेंगे ,
नालों
की सफाई हुई रहेगी
कचड़े
अब नहीं महकेंगे ।
दीपावली
में जब दीये जलेंगे ।
दुकानें अभावों से दूर रहेंगी
मिलावट
की नहीं होगी कोई खबर ,
दाम के
दाम में चीज़ें मिलेंगी
सभी टैक्स
चुकाएंगे बराबर ।
जन –
वितरण प्रणाली
दुरुस्त
हो रहेंगी , जनाब ।
पूरा
वजन मिलेगा वहाँ
अनाजों
का होगा सही हिसाब ।
गैस –
पेट्रोल सब सस्ते हो जाएंगे ,
जमाखोरों
के हाल खस्ते हो जाएंगे ।
दीपावली में जब दीये जलेंगे ।
सांसद
निधि में सांसद कमीशन नहीं लेंगे
ठेकेदार–इंजीनियर की साँठ–गांठ टूटेगी
विकास
के काम पूरे और पक्के होंगे
भ्रष्ट
अधिकारियों की कड़ी झट टूटेगी ।
थानों
में अब दलाल नहीं बैठेंगे ,
ट्रांसपोर्ट
ऑफिस में हलाल नहीं करेंगे ,
मंदिर–मस्जिद के आगे कंगाल नहीं मिलेंगे ।
दीपावली
में जब दीये हज़ार जलेंगे ।
न्यायालय
में केसों का निपटारा होगा ,
वकील–जजों का नहीं अब बंटवारा होगा ,
न्याय
की न अब बिक्री होगी ,
दीपावली में जब दीये जलेंगे ।
प्रशासन
अब निरपेक्ष रहेंगे ,
ऊंच–नीच , जाति-पांति के भेद मिटेंगे ,
सांप्रदायिकता
पर पटाक्षेप पड़ेंगे ,
दीपावली
में जब दीये जलेंगे ।
लोक शाही
सशक्त होगी
नौकर
शाही विरक्त होगी
शीघ्र
अच्छे दिन बहुरेंगे ,
दीपावली में जब दीये जलेंगे ।
बच्चों
के हाथ अब कटोरे नहीं दीखेंगे ,
बाल-श्रम से मुक्त लड़की-लड़के स्कूल चलेंगे ,
अज्ञान कटेंगे
, अंधकार मिटेंगे
दीपावली
के जब दीये हज़ार जलेंगे ।
दीपावली की शुभकामनाएँ इन्हीं आशाओं के साथ !
अमर नाथ
ठाकुर , 22 अक्तूबर , 2014 , कोलकाता
।