दूध वाला सिर पर हाथ रख पेड़ पर बैठे बन्दर के नीचे गुहार लगा रहा था । बन्दर के कब्जे में दूध वाले की कमाई की पूरी पोटली थी । बन्दर ने पोटली खोल ली थी और एक - एक कर के सिक्के गिराना शुरू कर दिया था --- एक सिक्का कुएँ में और एक सिक्का दूध वाले के सिर पर । आधा पैसा दूध वाले को मिला आधा पैसा कुएँ के पानी में गया । दूध वाले को दूध का पैसा मिला और पानी का पैसा पानी में चला गया । दूध वाले को सबक मिल गया था । इस कथा से हम सब भारतीय वाकिफ हैं । हम सब यह भी जानते हैं कि फिर दूध वाले ने कसम भी खाई थी इस घटना के बाद कि वह अब दूध में पानी कभी नहीं मिलाएगा । और बचपन में पढ़ी इस कहानी के बाद हम सब ने विश्वास कर लिया था कि उस दूध वाले ने अपने दूध में फिर कभी पानी नहीं मिलाया ।
हाँ , बिलकुल हम बात विमुद्रीकरण ,भ्रष्टाचार और काले धन की ही कर रहे हैं तथा उसके बाद लोकसभा में पेश किये गये वित्त विधेयक की जिसमें कहा गया कि बिना हिसाब के धन की घोषणा पर आधे से ज्यादा सरकार के खजाने में चली जाएगी ।
लेकिन हम बहुत दिनों से सोच यह रहे हैं कि क्या अब अपने यहाँ उस दूध वाले जैसे लोग हैं जिसने बन्दर वाली घटना के बाद फिर से दूध में पानी न मिलाने का प्रण लिया और ऐसा कर दिखाया ?
यदि आप में किसी के पास इस बात का उत्तर हो तो कृपया जरूर बताइये !
अमर नाथ ठाकुर , मेरठ 28 -11-2016.