Thursday, 8 March 2012

होलिका की होली

चुनावी दंगल की कैसी ये ठिठोली--
जिसने उकेरी रंग -रंगीली
जाति-धर्म -भेद की अठखेली --

गरिमा रहित  'हाथी ' थामता अब दलितों की टोली --
जन सवारी  ' साइकिल ' क्यों सवारे सिर्फ मुस्लिम -यादव जोड़ी --
भेद -भाव की लगाम ताने कैसे बजे एक  'हाथ' से ताली --
धर्म -भेद- आरोप  के निर्जल पंक में राष्ट्र  'कमल ' भी नहीं खिली --

हिंद - प्रदेश में चर्चा गली -गली --
लोध , कुर्मी , जाट-जुलाहे और नहीं  अगड़ी भी भली --
किन-किन नेताओं की किस-किस जाति ने उतारी पगड़ी --


अबकी होली -
रही नहीं निराली और भोली -
क्योंकि अखंड -भारत की
खंडित राजनीति की
 अजर -अमर होलिका नहीं जलाने देती
भेद जाति - धर्म कंटीली ---


अमर नाथ ठाकुर ,८ मार्च ,२०१२ .

मैं हर पल जन्म नया लेता हूँ

 मैं हर पल जन्म लेता हूँ हर पल कुछ नया पाता हूँ हर पल कुछ नया खोता हूँ हर क्षण मृत्यु को वरण होता हूँ  मृत्यु के पहले जन्म का तय होना  मृत्य...