-1-
भ्रष्टाचार का रावण बहुत गरजता है
यह फौलादी शरीर वाला है
लाल - लाल हैं इसकी आँखें
काली - काली और कड़ी- कड़ी मूंछें
अस्त्र - शस्त्र से है सुसज्जित
इसके संहारक हथियारों की टंकार से
दिशाएँ थर्रा उठती हैं
जल थल और आकाश दलमलित हो उठते हैं
रुग्ण शरीर वाले विरोध का राम
पसीने से लथपथ भय से काँपता
भागते हुए छुप जाता है पहाड़ी की ओट में
कहता है वो आराम कर रहे हैं
या शक्ति संचय की तपस्या चल रही है
आश्वस्त हैं कि रावण रूपी भ्रष्टाचार का वध होगा , किन्तु समय आने पर ।
अभी तो भ्रष्टाचार सीमा के भीतर ही है
अभी क्या परवाह है !
-2-
भ्रष्टाचारी रावण के प्राण को कोई खतरा नहीं
नाना प्रकार के सुरक्षा कवच प्राप्त यह महादानव
अमृत कलश में सुरक्षित रख अपने प्राण
राज नेताओं तथा न्यायालयों की छाया में
जेड सुरक्षा प्रणाली की लक्ष्मण रेखा की परिधि में
निवास करता है
फलता - फूलता इस भ्रष्टाचारी रावण का साम्राज्य
हम सब को आकर्षित कर लेता है
अब हम लोग इसकी ही पूजा करते हैं
हम सब आकंठ भ्रष्टाचार में ही डूबे हुए उपला रहे हैं
हम लोग आनंद में हैं
तपस्या में लीन राम अभी तक ओझल हैं
वैसे भी भगवान को पाना कितना कठिन है
अब राम की क्या जरूरत है
और अभी क्या परवाह है !
अमर नाथ ठाकुर
मेरठ , 5 नवम्बर , 2016 ।
भ्रष्टाचार का रावण बहुत गरजता है
यह फौलादी शरीर वाला है
लाल - लाल हैं इसकी आँखें
काली - काली और कड़ी- कड़ी मूंछें
अस्त्र - शस्त्र से है सुसज्जित
इसके संहारक हथियारों की टंकार से
दिशाएँ थर्रा उठती हैं
जल थल और आकाश दलमलित हो उठते हैं
रुग्ण शरीर वाले विरोध का राम
पसीने से लथपथ भय से काँपता
भागते हुए छुप जाता है पहाड़ी की ओट में
कहता है वो आराम कर रहे हैं
या शक्ति संचय की तपस्या चल रही है
आश्वस्त हैं कि रावण रूपी भ्रष्टाचार का वध होगा , किन्तु समय आने पर ।
अभी तो भ्रष्टाचार सीमा के भीतर ही है
अभी क्या परवाह है !
-2-
भ्रष्टाचारी रावण के प्राण को कोई खतरा नहीं
नाना प्रकार के सुरक्षा कवच प्राप्त यह महादानव
अमृत कलश में सुरक्षित रख अपने प्राण
राज नेताओं तथा न्यायालयों की छाया में
जेड सुरक्षा प्रणाली की लक्ष्मण रेखा की परिधि में
निवास करता है
फलता - फूलता इस भ्रष्टाचारी रावण का साम्राज्य
हम सब को आकर्षित कर लेता है
अब हम लोग इसकी ही पूजा करते हैं
हम सब आकंठ भ्रष्टाचार में ही डूबे हुए उपला रहे हैं
हम लोग आनंद में हैं
तपस्या में लीन राम अभी तक ओझल हैं
वैसे भी भगवान को पाना कितना कठिन है
अब राम की क्या जरूरत है
और अभी क्या परवाह है !
अमर नाथ ठाकुर
मेरठ , 5 नवम्बर , 2016 ।