ईमान की लूट चलती
सच पर पड़ता है डाका ।
बलात्कार , हिंसा और आतंक से
सराबोर पूरे समाज का खाका ।
चोरी , ठगी बच्चों के खेल हैं
मार-पीट , खून-खराबे से हुआ
युवाओं का करीबी नाता ।
धौंस , दादागिरी , अनैतिकता
रिश्वत , तिकड़म और धोखा ,
बल-प्रयोग , अपहरण तथा छिन-झपट्टा
आज-कल खूब फलता-फूलता ।
सत्य , आदर , स्नेह , सहिष्णुता
सद्विचार , करूणा , दया , ममता
त्याग , आशीर्वचन , मुस्कान , समरसता
ये सब पाठ्य-पुस्तक की
सैद्धान्तिक कथा ।
ईर्ष्या - द्वेष , लालच , दुर्विचार का रास्ता
अभिशाप , निंदा , कटाक्ष और कटुता
चालबाजी , घृणा , झूठ , दहशत और निर्दयता
ये सब असली बातें हैं जो आधुनिक
सामाजिक प्रयोगशाला में सिखने को मिलता ।
अमर नाथ ठाकुर , 17 सितंबर , 2014 , कोलकाता ।