Wednesday, 17 September 2014

सामाजिक प्रयोगशाला



ईमान की लूट चलती  
सच पर पड़ता है डाका । 
बलात्कार , हिंसा और आतंक से
सराबोर पूरे समाज का खाका ।

चोरी , ठगी बच्चों के खेल हैं
मार-पीट , खून-खराबे से हुआ
युवाओं का करीबी नाता ।
धौंस , दादागिरी , अनैतिकता
रिश्वत , तिकड़म और धोखा ,
बल-प्रयोग , अपहरण तथा छिन-झपट्टा
आज-कल खूब फलता-फूलता । 

सत्य , आदर , स्नेह , सहिष्णुता
सद्विचार , करूणा , दया , ममता
त्याग , आशीर्वचन , मुस्कान , समरसता 
ये सब पाठ्य-पुस्तक की सैद्धान्तिक कथा ।

ईर्ष्या - द्वेष , लालच , दुर्विचार का रास्ता
अभिशाप , निंदा , कटाक्ष  और  कटुता
चालबाजी , घृणा , झूठ , दहशत और निर्दयता
ये सब असली बातें हैं जो आधुनिक
सामाजिक प्रयोगशाला में सिखने को मिलता । 




अमर नाथ ठाकुर , 17 सितंबर , 2014 , कोलकाता ।      

मैं हर पल जन्म नया लेता हूँ

 मैं हर पल जन्म लेता हूँ हर पल कुछ नया पाता हूँ हर पल कुछ नया खोता हूँ हर क्षण मृत्यु को वरण होता हूँ  मृत्यु के पहले जन्म का तय होना  मृत्य...