Wednesday, 18 January 2017

प्रभु सब तुम्हारे मारे हैं , सब तुम्हारे प्यारे हैं



ट्रान्सफर में हो , तुम प्रमोशन में हो
तुम लोन में हो , तुम लाइसेंस में हो
हे प्रभु तुम ही तो तुम हो , हर जगह हो !
तुम टेन्डर में  हो ,  तुम   सप्लाई की वज़ह  हो
तुम पेट्रोल पम्प अलॉटमेंट में हो
बिल बनाने में हो , बिल पेमेंट में हो !
हे प्रभु  तुम ही तो हो इन सभी कृपा- रूपी पापों में !

तुम नौकरी के अप्वाइंटमेंट में हो ,
तुम कोर्ट के जजमेन्ट में हो ,
सत में हार हो और जीत असत में हो
तुम क्रिमिनलों के जमानत में हो ।
नौकर हो या मालिक , चपरासी हो या अधिकारी
चोर हो या सिपाही , किसान हो या व्यापारी ।
तुम्हीं हो प्रभु इन सब की महत्वाकांक्षी सलाखों में !

तुम हथियारों की खरीद में हो , तुम हो ड्रग की तस्करी में
 कभी आतंकी  बनाने में  , कभी आतंकियों की तरक्की में ।
कभी भाई को सुपाड़ी देने में , कभी पार्टी क़ो तोड़ने में ,
 कभी मंत्री को खरीदने में , कभी अपहरण के तार जोड़ने में ।
तुम्हीं तो हो प्रभु इन सब क्रिया - कलापों में !

तुम भीड़ जुटाते हो , तुम से ही भोज होता है
 तुम ही रुलाते - हँसाते हो , तुम से ही मौज़ होता है ।
तुम चोरों का उद्देश्य हो , तुम डाकुओं का भी सपना
तुम गरीबों की अभिलाषा हो , धनिकों की भी तृष्णा ।
हे प्रभु तुम ही तो हो इन सब साथों में , इन सब उत्पातों में !

तुम्हारी वजह से जेब होती है,
 तुम्हारी वजह से ही जेब कतरे ।
तुम्हारी वजह से इज्जत होती है ,
तुम्हारी वजह से ही इज्जत के बखड़े ।
बैंकों के आगे होती हैं कतारें
भाई - भाई में हो जाती हैं दरारें
दोस्त दुश्मन हो जाते हैं
और चला देते हैं  कटारें ।
हिन्दू-मुस्लिम के हो जाते हैं झगड़े
कहीं राजनीति के पचड़े
कहीं दुर्नीति के कचड़े
कहीं अव्यवस्था के झमेले
कहीं खून-खराबे के मैले मेले ।

 सब तुम्हारे प्यारे हैं , प्रभु सब तुम्हारे मारे हैं !
सब तुमसे हारे हैं , प्रभु सब तुम्हारे वारे हैं !

अमर नाथ ठाकुर , 16 जनवरी , 2017 , मेरठ ।












मैं हर पल जन्म नया लेता हूँ

 मैं हर पल जन्म लेता हूँ हर पल कुछ नया पाता हूँ हर पल कुछ नया खोता हूँ हर क्षण मृत्यु को वरण होता हूँ  मृत्यु के पहले जन्म का तय होना  मृत्य...