इमारत
के ऊपर इमारत
उसके
ऊपर भी इमारत
और
उसके भी ऊपर इमारत
ये
होती है बहुमंज़िली इमारत ।
और
कलकत्ते में होती हैं ऐसी अनेक बहुमंज़िली इमारतें
एक
ही जगह , कतार की कतार
कई
कतार , दर्जनों कतार ।
और
उनमें रहने वाले लोग
धनवान
लोग होते हैं ।
जवान
भी होते हैं , बूढ़े भी होते हैं
लेकिन
वो ऊपर नहीं ताकते
क्योंकि चाँद , तारे और सूरज परमात्मिक होते हैं ।
क्योंकि चाँद , तारे और सूरज परमात्मिक होते हैं ।
वो
सिर्फ नीचे ताकते हैं ।
नीचे के लोग उन्हें बौने नज़र आते हैं
और वो उन्हें देख कर हँसते हैं ।
क्यों , ऊपर वाले लोग निम्न विचार वाले होते हैं ?
और वो उन्हें देख कर हँसते हैं ।
क्यों , ऊपर वाले लोग निम्न विचार वाले होते हैं ?
नीचे झोंपड़ियाँ होती हैं
झोंपड़ियाँ
और सिर्फ झोंपड़ियाँ
कतार
की कतार , दर्जनों कतार ।
और
कलकत्ते में ऐसी अनेक झोंपड़ बस्तियाँ होती हैं ।
इन
झोंपड़ बस्तियों में अनेक लोग रहते हैं
जवान
, बूढ़े और बच्चे ।
ये
सब हमेशा ऊपर ही ताकते हैं
या बराबर
में ताकते हैं
ये नीचे नहीं ताक सकते
क्योंकि नीचे धरती होती है अपारदर्शी ।
ये नीचे नहीं ताक सकते
क्योंकि नीचे धरती होती है अपारदर्शी ।
ये आसमान में देखते हैं
चाँद , तारे और सूरज को ।
अनायास पा लेते हैं नैसर्गिक आभा ।
और क्यों, क्या ये इसलिए ऊंचे विचार वाले हो जाते हैं ?
ये
देखते हैं ऊपर बहुमंज़िली इमारत के लोगों को ।
वो
भी इन्हें बौने दीखते हैं ।
लेकिन
ये जानते हैं कि ये बौने लोग
ऊंचे पहुँचे लोग होते हैं ।
इनके
मन में कोई दुविधा नहीं होती
क्योंकि
इन्हें पता है कि विशाल जहाज़ भी आसमान में उड़ते हुए
पिद्दी
– सा मालूम पड़ता है ।
और ऐसे
ही शुरू हो जाता है ऊंच – नीच का भेद
बड़े
लोग और छोटे लोग का भेद
धनवान
और गरीब का भेद
उच्च
विचार और निम्न विचार का भेद ।
अमर नाथ
ठाकुर , 1 नवंबर , 2014 , कोलकाता
।