Sunday, 2 November 2014

ऊंचे लोग और नीचे लोग


इमारत के ऊपर इमारत
उसके ऊपर भी इमारत
और उसके भी ऊपर इमारत
ये होती है बहुमंज़िली इमारत ।
और कलकत्ते में होती हैं ऐसी अनेक बहुमंज़िली इमारतें
एक ही जगह , कतार की कतार
कई कतार , दर्जनों कतार ।
और उनमें रहने वाले लोग
धनवान लोग होते हैं ।
जवान भी होते हैं , बूढ़े भी होते हैं
लेकिन वो ऊपर नहीं ताकते
क्योंकि चाँद , तारे और सूरज परमात्मिक होते हैं । 
वो सिर्फ नीचे ताकते हैं । 
नीचे के लोग उन्हें बौने नज़र आते हैं 

और वो उन्हें देख कर हँसते हैं ।


क्यों , ऊपर वाले लोग निम्न विचार वाले होते हैं ?  

नीचे  झोंपड़ियाँ होती हैं
झोंपड़ियाँ और सिर्फ झोंपड़ियाँ
कतार की कतार , दर्जनों कतार ।
और कलकत्ते में ऐसी अनेक झोंपड़ बस्तियाँ होती हैं ।
इन झोंपड़ बस्तियों में अनेक लोग रहते हैं
जवान , बूढ़े और बच्चे ।
ये सब हमेशा ऊपर ही ताकते हैं
या बराबर में ताकते हैं

ये नीचे नहीं ताक सकते 
क्योंकि नीचे धरती होती है अपारदर्शी ।

ये आसमान में देखते हैं 
चाँद , तारे और सूरज को । 
अनायास पा लेते हैं नैसर्गिक आभा ।
और क्यों, क्या ये इसलिए ऊंचे विचार वाले हो जाते  हैं ? 
ये देखते हैं ऊपर बहुमंज़िली इमारत के लोगों को ।
वो भी इन्हें बौने दीखते हैं ।
लेकिन ये जानते हैं कि ये बौने लोग
ऊंचे पहुँचे लोग होते हैं ।
इनके मन में कोई दुविधा नहीं होती
क्योंकि इन्हें पता है कि विशाल जहाज़ भी आसमान में उड़ते हुए
पिद्दी – सा मालूम पड़ता है ।

और ऐसे ही शुरू हो जाता है ऊंच – नीच का भेद
बड़े लोग और छोटे लोग का भेद
धनवान और गरीब का भेद
उच्च विचार और निम्न विचार का भेद ।

अमर नाथ ठाकुर , 1 नवंबर , 2014 , कोलकाता ।


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