-1-
चलो आओ रोएं
मिलकर रोएं
आराम से रोएं
भरपूर रोएं
यहां कोई नहीं चुप कराने वाला !
नहीं कोई विघ्न पहुंचाने वाला !
रोने वाले से कौन कोई द्वेष करे !
डूबती कम्पनी में क्यों कोई निवेश करे !
-2-
आज मरें , कल मरें
साथ नहीं कोई मरने वाला
क्यों स्वयं को मरने से रोकें
क्यों स्वयं बाधा डालें
आओ, यदि आना चाहो
साथ मरें , निर्बाध मरें
बेहिचक बेझिझक मरें
चैन से मरें !
जब भी मरें साथ नहीं कोई जाने वाला
मरने वाले से कौन कोई विद्वेष करे !
-3-
आओ कूड़े के ऊपर घर बनाएं
योग-वियोग का अभ्यास करें
कूड़े के ऊपर रोएं
कूड़े के ऊपर मरें
कूड़े के बगल में होती एक बदबूदार नाली
कल -कल ध्वनि से मन को अविच्छिन्न कर देने वाली
अकल्पनीय बदबू से आह्लादित मन
असंख्य गिजगिजाते कीड़ों के संग
न यहां कोई धोखा देने वाला
न मित्र कोई द्वेष रखने वाला
यहां शत्रु नहीं कोई पनपने वाला
शहर की चकाचौंध से अबाधित
शांत स्निग्ध ग्राम्य वातावरण से निर्वासित
स्वर्ग की परिकल्पना से दूर,
नर्क की अवधारणा से परिपूर्ण,
कौन यहां मिलेगा ?
आओ , चाहो तो आओ !
साथ रोएं, साथ मरें !
कूड़े के ऊपर घर में !
रोने वाले से कौन कोई द्वेष करे !
मरने वाले से कौन कोई विद्वेष करे !
नाथ ठाकुर, 2 मई , 2023 , कोलकाता !