Tuesday, 29 October 2013

ट्रांसपेरेंसी

          -1-

ऊंची , मोटी , रंगीन , दीवारों वाले घर के अंदर की बातें ।
एँड़ियों पर  तनकर  , उचक – उचक कर , 
खिड़कियों और दरवाजों की खांचों से झाँककर ,
फुस – फुसी ध्वनि को सुनकर ,
धुंधले दृश्य को देखकर ,
बिखरी कड़ियों को सजाकर ,
लिख डालते थे शोध ।
कल्पना , अंदाज़ , संभावना ,
तर्क से परिपूर्ण बोध ।
रहस्य – रोमांच के आवरण से
जैसे बीज़ से अंकुरित पौध ।

        -2-

तेज़ हवा , वारिश और तूफान
क्रांतिकारी भूकम्प से हुई जब कम्पायमान
कबके उतर गए रंग बेजान ।
निकलने लगीं पपड़ियाँ ।
दीखने लगी  खुरदरी  ईंटें , दर्जनों सूराखें
और चौड़ी – चौड़ी दरारों की धारियाँ ।
ढहते कोने – किनारे ।
और स्पष्ट होते जाते घर के जीवंत –दृश्य के नज़ारे ।
नज़र आते बंदर – बाँट , लूट – खसोट
और भूत - भविष्य की योजना सारे – के - सारे ।
आ जाती है जब ट्रांसपेरेंसी
होता रहस्य का पर्दाफाश ।
नज़र आने लगती है दिशाएँ ,
पाताल और आकाश ।


अमर नाथ ठाकुर , 29.10.2013 , कोलकाता । 

मैं हर पल जन्म नया लेता हूँ

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