दूर
हिमालय की चोटी रजत धवल बर्फीली
नीचे
दूर–दूर तक पसरी भारतवर्ष की हरियाली
कहीं
झर–झर झर–झर झरता झरना
कहीं
कल-कल करता नदी जल सुहाना ।
वृक्ष शाखाओं पर पक्षी वृंद का कलरव
झील तट
का वातावरण शांत स्निग्ध नीरव ।
तालाबों
में तैरते मगर , मछलियाँ , उपलाते कमल
क्रीडा
करते हंस, बत्तख , बगुला और सारस दल ।
मंद–मंद
कोमल वायु का शीतल स्पंदन
रंग-बिरंगे
पुष्प-लताओं से सज़ा उपवन ।
सागर
तट पर ध्वनि हाहाकार
दौड़ती
कूदती फाँदती लहरें दैत्याकार
ऊपर नीला
आकाश , पूर्ण चंद्र निराकार
और टिमटिमाते
तारों का असंख्य परिवार
कभी कड़कती
बिजली , चमचमाती दिशाएँ
उफनते
सागर में दूर दिखती तैरती नावें ।
क्षितिज
पर छिपता दिन , क्षितिज से ही झाँकता सवेरा
बाघ , कुत्ता , हाथी
, मानव सबका यहाँ बसेरा ।
प्रकृति
का नज़ारा , मनमोहक , मनभावन कितना प्यारा !!!
अमर नाथ
ठाकुर , 30, अक्तूबर , 2014 , कोलकाता ।