Thursday, 14 June 2012

क्यों तुम रोए



तुम जो न बात करो
तुम जो न हाथ धरो
तो क्यों हम साथ रहें

क्यों झगड़ भूत की तह खोलें
चलो ऐसे ही सह लें
क्यों न ऐसे ही रह लें

चैन की वंशी बजा लें
मिले तो छप्पन भोग लगा लें
नहीं तो तिनका हम पका लें

मन को बेमन सजा लें
मौन रह जीवन का मजा लें
तुम्हारा पथ तुम्हें भावे
पथ हम अपना बना लें

क्यों कटुता से वचन सना हो
मन तेरा तुम मना लो
मन मेरा हम मना लें

जो मेरा न संग भाए
क्यों दूध और भंग मिलाएँ
फिर क्यों ये जंग हो
तुम तंग हो न हम तंग हों

सूची अग्र की बात क्यों हो
पाँच गाँव तुम लो तुम्हें भाए
क्यों हम महाभारत मनाएँ

राग तुम अपना गुनगुनाओ
रागिनी हम अपना गुनगुनाएँ
गीत तुम अपना बना लो
मीत हम अपना बना लें

क्यों तुम रोए
क्यों हम रोएँ

अमर नाथ ठाकुर , १२ जून , २०१२ , कोलकाता .

मैं हर पल जन्म नया लेता हूँ

 मैं हर पल जन्म लेता हूँ हर पल कुछ नया पाता हूँ हर पल कुछ नया खोता हूँ हर क्षण मृत्यु को वरण होता हूँ  मृत्यु के पहले जन्म का तय होना  मृत्य...