Thursday, 8 December 2011

क्यों आज मेरा व्यथित मन भरमाए !


नैतिकता के रक्त से रंजित 

केसरिया पूरी - पूरी 


नीचे भ्रष्टाचार की 

हरियाली की पट्टी हरी -हरी 


मध्य में 

कालेधन की पट्टी की सफ़ेद जरी 


और बीच में क्षण -क्षण रवैये बदलती 

बेईमान सरकार की वृत्ताकार चकरी 


चकरी की चौबीस तीलियों में 

सिब्बल , चिदम्बरम, तिवारी 


हसन अली , दिग्विजय , शीला , 

राहुल और कलमाड़ी


शरद , माया ,मुलायम, राजा और 

करुणा की पूरी सवारी 


और चकरी के  केंद्र पर

लगाम थामे देवी सोनिया खड़ी


क्यों आज मेरा व्यथित मन भरमाए 

जो मनमोहन के कंधे पर ऐसा तिरंगा नज़र आए !

अमर नाथ ठाकुर , १४ अगस्त , २०११ ..

No comments:

Post a Comment

मैं हर पल जन्म नया लेता हूँ

 मैं हर पल जन्म लेता हूँ हर पल कुछ नया पाता हूँ हर पल कुछ नया खोता हूँ हर क्षण मृत्यु को वरण होता हूँ  मृत्यु के पहले जन्म का तय होना  मृत्य...