मोदी , क्या सचमुच तुम दंगे
कराते हो ?
तो ये 2002 में क्या हुआ था ?
कहते हैं बहुत मुस्लिम मारे
गए थे ।
माना , गोधरा में
ट्रेन जलायी गई थी ।
बहुत हिन्दू जलाए गए थे ।
खून –के बदले –खून का हिसाब
तो सर्वसाधारण को मालूम है ।
क्या, सचमुच यह हिसाब तुम्हें
भी मालूम है ?
क्या, तुम भी सर्वसाधारण में
से एक हो ?
क्या, तुम भी हम जैसे
हो ?
कितने जलाए गए थे
कितने काटे गए थे
कितने बेघर हुए थे
कितने लूटे गये थे
माई के बेटे , बेटों की माई
भाई की बहन , बहन का भाई
न जाने कितने-कितनों के खून बहे
थे ।
हिंसा खेल बन गया था
कानून मज़ाक बना था
पुलिस मूक बनी रही थी
रक्षक भक्षक बना पड़ा था
और , मोदी क्या तुम
सचमुच मौन रहे थे ?
गलियां वीरान हो गई थीं
झोपड़ियाँ बेजान हो गयी थीं
भयाक्रांत बच्चे सिसकते रहे थे
चील-कौए जश्न मना रहे थे
भूख से भूख तड़पी थी
प्यास से प्यास प्यासी हुई थी
निस्सहाय मानवता कराह रही थी
दया,माया,करुणा को मोदी, कौन ले उड़ा था
?
क्या मोदी , ये सचमुच भूल
गये ?
मान लिया , चलो मान लिया
।
आज मोदी जब तुम दहाड़ते हो
सीना चौड़ी कर जब हुंकारते हो
शत्रुओं को जब ललकारते हो
तो लगता है सचमुच वीर दीवाने हो
।
भ्रष्टाचार मिटाने को
मानवता बरसाने को
सचमुच तुम प्रतिबद्ध हो ।
कंधे पे गमछी डालकर
भाल पर तिलक सजाकर
क्योंकि सचमुच द्वेष भुलाकर तुम
करबद्ध हो ।
तो भारत- भक्ति के नाम पर
दस वादे चाहिए --
भ्रष्टाचारियों से कोई समझौता
नहीं करोगे
जुल्मी-आरोपी को मंत्री नहीं बनाओगे
सेठ – साहूकारों के संग नहीं उड़ोगे
कालाधन वापस लाओगे
विकास का बिगुल बजाओगे
भाईचारा बढ़ाओगे
न होने दोगे दंगे- फसाद
न झगड़ा न कोई वाद-विवाद ।
हम सर्वसाधारण हैं
भूत को भूलकर
करतल ध्वनि से
तुम्हारी आरती करेंगे ।
तुम भी सर्वसाधारण बन सर्वसाधारण
के दिलों में निवासोगे ।
भारत-भारती के सिंहासन-रथ का सारथी
बनोगे ।
चलो माफ किया ।
लेकिन यह कैसे मानेंगे
कि उस ललना की तुमने जासूसी नहीं
की थी
उसकी निजता में दखल नहीं दी थी
?
अंबानी के जहाज़ में तुम अब तक
नहीं उड़े ?
अदानी को ज़मीनों का उपहार नहीं
दिया ?
जुल्मियों को मंत्री नहीं बनाया
?
टाटा को ज़मीनें नहीं लुटायीं ?
अंबानी को खुश करने दामाद को मंत्री
नहीं बनाया ?
भुज के सिख किसानों को नहीं भगाया
?
जनता को आतंकित नहीं करते ?
ये प्रश्न क्यों अनुत्तरित हैं
?
ज्यों-ज्यों चुनाव नज़दीक आता जाता
है
विकास का गुजरात मॉडल क्यों बकवास
लगता है ?
क्यों गुजरात में भी अशिक्षित
और निर्धन बसता है ?
प्रथम – चरण के चुनाव तक हमें
ये जबाव चाहिए ।
क्योंकि कौंग्रेस को हमने दरकिनार
किया है
‘आप ‘ का किन्तु हमने नहीं परित्याग किया है ।
अमर नाथ ठाकुर , 6 अप्रैल , 2014 , कोलकाता ।