अनंत मत
अनंत पथ
किन्तु एक लक्ष्य ।
विभिन्न रूप
विभिन्न तथ्य
किन्तु एक सत्य ।
कभी साकार
कभी निराकार
किन्तु वह फिर भी निर्विकार ।
वही कर्त्ता-धर्त्ता
वही संहार-कर्त्ता
किन्तु वही होता पालन - कर्त्ता ।
किन्तु वही होता पालन - कर्त्ता ।
कभी सगुण
कभी निर्गुण
किन्तु गुण-अगुण से भी वह तटस्थ ।
वही दुःख - हर्त्ता
वही सुख - दाता
किन्तु सुख-दुःख से भी वह विरक्त ।
वह असीम दया का सागर ,
वह स्रोत अजस्र प्रेम का ।
अनन्त आनंद का अक्षुण्ण धरोहर ,
मालिक कुशल-क्षेम का ।
मेरा ईश्वर तेरा अल्ला उसका ईसा ।
मेरे तेरे उसके हृदय में बसा एक-सा ।
वह असीम दया का सागर ,
वह स्रोत अजस्र प्रेम का ।
अनन्त आनंद का अक्षुण्ण धरोहर ,
मालिक कुशल-क्षेम का ।
मेरा ईश्वर तेरा अल्ला उसका ईसा ।
मेरे तेरे उसके हृदय में बसा एक-सा ।
अमर नाथ ठाकुर , 21 अप्रैल , 2015 , कोलकाता ।