1॰ प्रजातंत्र
अपना बाज़ार
अपनी दुकान ,
अपने ग्राहक
फिर भी नुकसान !
2. जातिवाद
अपना कुनबा
अपनी जाति ,
अपनी ही संतति
फिर भी नहीं सदगति !
3॰ परिवारवाद / क्षेत्रवाद
अपना क्षेत्र
अपनी पार्टी
अपनी सरकार
अन्य की क्या सरोकार ।
4. माल्या और बैंक
अपनी टीमें
अपने कप्तान
अपने सब खिलाड़ी ,
तो फिर किसका गोल
और किसकी बाज़ी ?
5॰ कन्हैया की आज़ादी
न जाति अर्जित
न गरीबी उपार्जित
तो क्यों बोले उत्पीड़न पोषित ?
न अपनी धरती
न अपना आकाश
न अपना कोई जहान
फिर भी उन्मुक्त उड़ान ।
6॰ राहुल गांधी
खुद ही डॉक्टर
खुद ही बीमार
किसकी दवाई
से हो अब उपचार ?
7. अराजकता
अपना कोर्ट
अपने जज से भरा ,
तिस पर अपने वकील की बहस
तो फिर किस बात की सज़ा ?
8. लालू की सरकार
अपनी गाड़ी
अपना ड्राइवर
अपने यात्री
न अन्य किसी को चढ़ाना
न किसी को उतारना
गाड़ी चले न चले
अपना पेट पले ।
अमर नाथ ठाकुर , मार्च 2016 , कोलकाता ।