Sunday, 20 May 2018

आधा तुम खाओगे आधा हम खाएँगे

आधा तुम खाओगे आधा हम खाएँगे

आधा तुम लो आधा मैं लूँ
चलो मिल-जुल कर बाँट खाएँ
भ्रष्टाचार का पुल बनाएँ
उस पर राजनीति की बस चलाएँ
बस में विधायक और सांसद चलेंगे
मुख्यमंत्री कंडक्टर और प्रधानमंत्री ड्राइवर बनेंगे
पुल जब टूटेगा नीचे जनता मरेगी
लाशों पर मंच बना भाषण चलेंगे
जनता की चीत्कार कौन सुनता है
क्योंकि हम तो जोर-जोर से तालियाँ बजाएँगे
फिर मृतक सम्बन्धियों घायलों के लिये राहत के प्रसाद बँटेंगे
उसे ये कहाँ मिलेंगे
क्योंकि हम लोग सब झपट खाएँगे
आधा तुम खाओगे आधा हम खाएँगे ।

अप्रैल में जब ट्रान्सफर  लिस्ट निकलेंगे
वर्मा जी यादव जी के चहेते हैं वह वहीं रहेंगे
लाख टके तो जरूर मिलेंगे
मिल-बाँट कर खाएँगे
आधा तुम खाओगे आधा हम खाएँगे ।

मेहरा जी मंत्री के मौसी की चचेरी
बहन के दामाद के मित्र हैं
उन्हें क्यों कोई फिक्र है
वह भी इसी स्टेशन में रहेंगे
पम्प, घर, सड़क और सप्लाई का ठेका बाँटते रहेंगे
और वह तो बिना काम के भी बिल -पे- बिल भी पास करते रहेंगे
कमीशन के टके बटोरते रहेंगे
और ऊपर तक पहुँचाते रहेंगे
कुछ हमें भी मिलेंगे
मिल-बाँट कर खाएँगे
आधा तुम खाओगे आधा हम खाएँगे ।



अगले इलेक्शन में वोटों का खेल खेलेंगे
जनता तो भोली है उन्हें पाँच सौ मिलेंगे
फिर वोटों को खरीद कर हम चुनाव जीतेंगे
एमएलए यदि कम पड़ेंगे
क्या दिक्कत है हम उन्हें भी खरीद लेंगे
सरकार तो हमारी ही बनेगी फिर मौज़ करेंगे
हर ठेके में दस बीस प्रतिशत के कमीशन मिलेंगे
फिर मिल-बाँट कर खाएँगे
आधा तुम खाओगे आधा हम खाएँगे ।


इलेक्सन के पहले जातियों में जनता को बाँटेंगे
धर्म की राजनीति कर भेदभाव फैलावेंगे
वोटों का ध्रुवीकरण कराएँगे
हम जीतेंगे हमारी पार्टी के लोग जीतेंगे
सरकार हमारी बनेगी हम राज करेंगे
हंग एसेम्बली हुई तब भी किंग मेकर बनेंगे
तब तो हम कई मंत्री बनवाएँगे
बिना जिम्मेवारी के सारा काम करवाएँगे
रिमोट से ही सही सरकार हम ही चलाएँगे
सरकार को परमानेन्ट बनाए रखेंगे
खूब कमाएँगे खाएँगे ऐश करेंगे
लेकिन मिल-बाँट कर खाएँगे
आधा तुम खाओगे आधा हम खाएँगे ।

देश के लिये हथियार खरीदेंगे , विमान खरीदेंगे
विश्वास बढ़ाने बिचौलिये हम क्यों रखेंगे
सप्लायर्स से पूरा कमीशन स्वयं वसूलेंगे
खुद कम्प्लेन कराएँगे
अपनी एजेंसी से खुद अपनी जाँच करवाएँगे
अपने को पाक साफ साबित खुद करेंगे
मिल-बाँट कर खाएँगे
आधा तुम खाओगे आधा हम खाएँगे ।

पत्रकारों का जखीरा साथ रखेंगे
जो सिर्फ हमारी खबर छापेंगे
जो नेता मंत्री अधिकारी व्यवसायी नहीं सुनेंगे
उनके चरित्र हनन के समाचार छपेंगे
सीबीआई , सीवीसी , ईडी से जाँच कराएँगे
फिर छापे पड़ेंगे , बरामदगी के समाचार छपेंगे
पत्रकार वसूलेंगे , हम भी वसूलेंगे
मिल-बाँट कर खाएँगे
आधा तुम खाओगे आधा हम खाएँगे ।

नौकरी के विज्ञापन आएँगे
रिश्वत से ही बहाली कराएँगे
अपनी जाति वाले अधिकारी बनेंगे
कैडर वाले तो जरूर बढ़ेंगे
कुछ जन कल्याण के भी काम करेंगे
जो सिर्फ दिखाने के ही होंगे
फिर मिल-बाँट कर खाएँगे
आधा तुम खाओगे आधा हम खाएँगे ।

कुछ मामले जो नहीं संभलेंगे 
वो न्यायालय में जाएंगे
लेकिन हम फिर भी नहीं डरेंगे
न्याय बिकते हैं खरीद लेंगे
आखिर न्यायमूर्ति भी तो खेलेंगे
वो भी खाएंगे उनके लोग भी खाएंगे
सब मिल बांट कर खाएंगे
आधा तुम खाओगे आधा हम खाएंगे ।

आरक्षण की राजनीति करेंगे
धर्म की राजनीति को सेवेंगे
असहिष्णुता का दुष्प्रचार करेंगे
कुछ लेखक और समाजसेवी पुरस्कार त्यागेंगे
संविधान खतरे में है अफवाह फैलाएँगे
डेमोक्रेसी , न्याय व्यवस्था तब चरमराएँगे
अखबारों में फिर ऐसी ही खबर छपेंगे
केंद्र सरकार की गद्दी को हिला नींद हराम कर देंगे
फिर अपने विरुद्ध के सभी मामले वापस करा लेंगे
अपने कुकृत्यों का पर्दाफाश नहीं होने देंगे
फिर मिल-बाँट कर खाएँगे
आधा तुम खाओगे आधा हम खाएँगे ।

अमर नाथ ठाकुर , 19 मई , 2018 , मेरठ ।
























मैं हर पल जन्म नया लेता हूँ

 मैं हर पल जन्म लेता हूँ हर पल कुछ नया पाता हूँ हर पल कुछ नया खोता हूँ हर क्षण मृत्यु को वरण होता हूँ  मृत्यु के पहले जन्म का तय होना  मृत्य...