Monday, 23 May 2016

रोज होली है



कभी रोकर , कभी रुलाकर
कभी हँस कर , कभी हँसा कर
कभी तोड़ कर कभी जोड़ कर
रंग-बिरंगी बोल कर टरकाना


कभी रंग-बिरंगी बातें
कभी रंग - बिरंगी करामातें
फिर कभी रंग-बिरंगी कातिलाना फँसाना

कभी सच बोलकर
कभी झूठ बोलकर
कभी निभाना फिर कभी बरगलाना

कभी रंग-बिरंगी पोशाक में
कभी रंग-बिरंगी मुखाकृति में
कभी रंग-बिरंगी चाल चलना
फिर कभी दौड़ना फिर कभी रुक जाना

कभी साथ चलकर
कभी दूर-दूर हंट कर
कभी पुचकारना कभी दुत्कारना
कभी अपनाना फिर कभी छोड़ जाना

कभी रोग देना कभी दवा देना
कभी सजा देना कभी बिखरा देना
दिन होना फिर कभी रंग-बिरंगी रात हो जाना

कभी क्रमबद्ध कभी असम्बद्ध होना
कभी प्रतिबद्ध कभी पथ भ्रष्ट होना
कभी रंग का बदरंग होना
कभी बिना रंग का सब रंग होना

इस रंग-बिरंगी दुनियाँ में
लोगों की रंग-बिरंगी जिन्दगी
यहाँ तो रोज होली है
रंगों में सराबोर लोगों की बानगी ।


अमर नाथ ठाकुर , 14 मई , 2016 , कोलकाता ।

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