मैं ने देखा एक हकलाता कुत्ता
मालिक के साथ वाक करते हुए
मालिक के साथ समानान्तर चलते हुए
मालिक खड़ा होता है
वह भी खड़ा हो जाता है
मालिक किसी से बात करता है
वह सुनता रहता है
मालिक दौड़ता है
वह भी दौड़ता है
चहलकदमी करते मालिक के साथ
वह कुत्ता भी जमीन सूँघते चलता रहता है
मैं रोज़ देखता हूँ एक हकलाता कुत्ता ....
मालिक के साथ
मालिक की छाया की तरह
मालिक की रक्षा में
मालिक की ढाल बनकर
हर संदिग्ध पर भौंकता है
वह वफादार कुत्ता ...
पूँछ हिलाता जमीन नोंचता
वह नुकीले दाँतों वाला नंगा कुत्ता ....
मैं रोज़ देखता हूँ एक हकलाता कुत्ता .....
मैं रोज देखता हूँ एक वफादार कुत्ता ......
मालिक जब पुकारता है
मालिक जब सहलाता है
कूद पड़ता है पूँछ हिलाते हुए
मालिक के कन्धे पर दोनों पैरों को डालकर
मालिक के होंठों को चूमते हुए
हकलाता हुआ वह समझदार कुत्ता ....
वह मालिक के बच्चे को पहचानता है
वह मालकिन को पहचानता है
और हर अनजाने पर भौंकता है वह सावधान कुत्ता
खुद जागकर मालिक को चैन की नीन्द सुलाता है
वह दमदार पहरेदार कुत्ता ....
क्या पाता है बदले में वह कुत्ता
थाली का जूठन और हाड़-माँस का अवशेष
न कोई सैलरी न कोई बोनस
और न रहता कभी कोई प्रोमोसन का भूखा
फिर भी होता है वह कर्मठ और ईमानदार कुत्ता
वह तंदुरुस्त हँसता मुस्कराता कुत्ता ...
मैं रोज़ देखता हूँ एक वफादार कुत्ता .....
मैं कुत्ते की कर्त्तव्य निष्ठा , ईमानदारी , वफादारी का कायल हूँ
क्योंकि चोर , उचक्के और डाकू डरते हैं कुत्ते से
आज तक कोई कुत्ता नमक हराम नहीं हुआ
आज तक किसी कुत्ते पर भ्रष्टाचार
या विश्वासघात का कोई आरोप नहीं लगा
इसलिये कोई कुत्ता कभी बर्खास्त नहीं हुआ
इतिहास में नहीं कोई ऐसा दस्तावेज़
कि किसी कुत्ते पर कोई चार्जशीट हुआ
आज तक नहीं बनाया किसी कुत्ते ने कोई यूनियन !
अकेला कुत्ता अपना कर्त्तव्य करता रहा
मालिक का खाया नमक चुकाता रहा ।
आज तक नहीं मिला किसी कुत्ते को कोई पद्म पुरस्कार
न कोई सर्टिफिकेट अथवा वीरता का कोई चक्र
जब भी मालिक पर कोई आक्रमण हुआ
पहली गोली कुत्ते ने खायी
इसलिये कुत्ते की मौत पर हर मालिक रोया है ।
आप में से कितने कुत्ता बनना चाहते हैं
छिः मैं यह क्या बोल गया !
यह तो परले दरजे की गाली है
लेकिन इस तिरस्कारी विचार से
कुत्ते को कितना दुःख होता होगा
क्या आपने सोचा है ?
लेकिन मैं ने सोच लिया है
अपनी बात बताना चाहता हूँ
मैं तो कुत्ता बनना चाहता हूँ
अपनी कम्पनी का कुत्ता
क्योंकि मैं कम्पनी के टुकड़ों पर ही तो पल रहा हूँ
फिर क्यों न बनूँ अपनी कम्पनी का कुत्ता
वफादार , कर्त्तव्यनिष्ठ एवं ईमानदार कुत्ता !
फिर मैं भ्रष्टाचारियों पर भौंक पाऊँगा
इसे लूटने वालों को काट खा पाउँगा
जिस दिन हम सब कुत्ते बन जाएँगे
कंपनी रफ़्तार में चलने लगेगा और
तभी हमें हाड़- माँस का लाभांस मिलता रहेगा !!!
अमर नाथ ठाकुर
30 अक्टूबर , 2016 , मेरठ ।
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