लूट का एक राजा होता है और होता है एक संविधान
लूट का साम्राज्य चलता है फिर बिना कोई व्यवधान
वहाँ लूट का एक बाज़ार भी होता है
जहाँ लूट बिकती है
बाज़ार हमेशा खुला होता है
और बेहिसाब लूट , बेहद लूट , बेशुमार लूट
जारी रहती है ।
लूट का पर्व मनता है
पिछली बार लूट की पूजा मनी थी
उस पूजा में लूट का गजब का आनंद था
पूरा वातावरण लूटमय था
लूट की प्रतिमा पर लूट की माला
लूट की अगरबत्तियाँ , लूट के प्रसाद का डाला
लूट के गाजे-बाजे की व्यवस्था
लूटातिरेक से लुटे मन को थिरकाता ,
लूट पर छूट की भी व्यवस्था थी
लूट पर छूट की भी व्यवस्था थी
एक लूट पर एक लूट की छूट थी
इस तरह लूट खूब पली - बढ़ी थी
लूट वाली कम्पनियों में लूट का लाभांश भी मिला था
फिर लूट की दीवाली आई थी
जिसमें लूट की लक्ष्मी और काली सजी थी
लूट के पटाखे , लूट के रॉकेट , लूट की फुलझड़ियाँ
लूट की मिठाइयाँ और लूट की लड़ियाँ
लूट के रंग से लूट की मनी होली
जो लोगोँ ने खूब खेली
लूट का क्रिसमश सज़ा
फिर मिला लूट के ईद
का भी मज़ा
लूट धर्म से आह्लादित मन
लूट से विभूषित पूरा लूट - जीवन ।
लूट के आवेश में
गले मिले लूट के वेश में
लूटाभिषेक से लूट के तिलक-चन्दन में
लूट की टोपी और लूट के ही बंधन में
हिन्दू मुस्लिम और ईसाई
लूट में होते हैं सब सेकुलर भाई
यह है मौन लूट सही
इसमें दंगा फसाद नहीं ,
लूट के सेठ होते हैं , लूट के भिखारी
लूट के साधु होते हैं , लूट के अधिकारी
जाति-धर्म-भेद रहित होता है लूट
ऊँच-नीच-पिछड़ा-दलित भाव से मुक्त होता है लूट
लूट में बरती जाती पूरी ईमानदारी
लूट की ऐश में लूट की खातिरदारी
लूट में सब तत्क्षण है
लूट में न कोई आरक्षण है
लूट कहाँ किसी को सताती है
इसलिये लूट सबको भाती है ।
लूट में सब तत्क्षण है
लूट में न कोई आरक्षण है
लूट कहाँ किसी को सताती है
इसलिये लूट सबको भाती है ।
अबकी लूट जीती है
पिछली लूट हारी है
चरित्र की जब लूट होती है
तब भी लूट का चरित्र होता है
लूट का न कोई दुश्मन होता है
लूट का सब मित्र ही होता है
चाहे क्यों न हो अपना लूट
चाहे क्यों न हो पराया लूट
चाहे क्यों न हो पराया लूट
लूट का मैदान , लूट का खाट
लूट की कमाई , लूट का ठाठ
लूट का कर्ज़ , लूट का भुगतान
लूट से मालामाल ,लूट की शान
लूट की जान, लूट का खान-पान
लूट से क्यों हों साभार , लूट से क्यों हों सावधान
लूट का हर कोई चोर , लूट का हर कोई सिपाही
लूट का हर कोई अपना , लूट का हर कोई भाई
लूट केशरी भी लूट शिरोमणि भी
लूट का झण्डा लूट की पाणि भी
लूट का न कोई दुःख लूट का सिर्फ सुख
ताबड़-तोड़ चले लूट फिर भी लूट की भूख
लूट के इस साम्राज्य में सब कुछ समभाव से लूटा जाता है
क्योंकि लूट का सरदार होता है जो लूट का उस्ताद होता है
लूट के खेल में होता हर नियम का पालन
लूट की फैक्ट्री में लूट का उत्पादन
लूट के स्कूल में लूट का प्रशिक्षण
लूट की शिक्षा – दीक्षा से बनता है लूट का भविष्य
लूट के माहौल से बनता है लूट का परिदृश्य ।
लूट की कथा
लूट का दर्शन
लूट की आत्मा लूट का भगवान
लूट का पुनर्जन्म लूट का विधानलूट का दर्शन
लूट की आत्मा लूट का भगवान
लूट अकाट्य है लूट सत्य है
लूट ही महाधन है
लूट हमारा जीवन है
लूट में हम जीते हैं
लूट में हम मरते हैं
लूट फल से हमारा पुनर्जन्म निर्धारित होता है
लूट के कानून से तो हमारा जीवन बाधित होता है
लूट की ही ये कलाकारी है
कि लूट अनवरत जारी है
लूट परमो धर्म:
लूटं परमं सुखं
सर्वे लूटानि पश्यन्तु
मा कश्चित दुःखभाग्भवेत
लूट हमारी माता लूट हमारा पिता
लूट हमारा भाई लूट हमारी सखा
लूट मेरे देव ! लूट ! लूट मेरे देव !
अमर नाथ ठाकुर , 25 जून , 2015 , कोलकाता ।
Bare truth. We're completely submerged in this. Impressible mind of a few are keeping the system going, rest are totally drowned .
ReplyDeleteSir
ReplyDeleteThank you very much for the comment.
Regards
ANThakur.