Monday, 29 September 2025

हम तुम्हें अपना समझते रहेंगे

 

✨ हम तुम्हें अपना समझते रहेंगे✨

तुम मानो या ना मानो,
हम तुम्हें मना कर रहेंगे।
थाली चाहे कितनी बार उड़ेल दो,
हम तुम्हें खिला कर रहेंगे।

दुनिया बड़ी बेवफा है,
हम तुम्हें अपना बना कर रहेंगे।
एक देश है हमारा,
हम इसे विभिन्न रंगों से सजा कर रहेंगे।

रिश्तों की डोर न टूटे कभी,
हम इसे विश्वास से जोड़ते रहेंगे।
आंधी आए या तूफ़ान बड़ा,
हम दीपक की तरह जलते रहेंगे।

मिट्टी की खुशबू, गंगा की धार,
यही है हमारी पहचान अपार।
आओ मिलकर प्रण ये करें,
भारत को स्वर्ग सा बना कर रहेंगे।

विविधता में एकता की छवि,
हर दिल में बसाएंगे।
तुम मानो या ना मानो,
हम तुम्हें अपना समझते रहेंगे।

अमर नाथ ठाकुर, 29 सितंबर, 2025, कोलकाता।

Sunday, 28 September 2025

सनातन का स्वर

 

✨ सनातन का स्वर ✨


हिंदू क्यों मुसलमान बने,
मुसलमान क्यों हिंदू बने?
सिख, जैन, बौद्ध सभी तो सगे,
फिर तुम क्यों अपने में भटकने लगे ?


धर्मनिरपेक्ष रहा देश नहीं कदा,
सर्वधर्म समभाव का यह भारत धरा।
सहिष्णुता का उज्ज्वल सूरज,
भारत भू पर रहा चमकता सदा।


शैव, वैष्णव, शाक्त यहाँ पर,
रहते संग-संग भेद भूलकर।
द्वैत, अद्वैत, विशिष्टाद्वैत में न तनिक वैमनस्य,                साकार निराकार घुलमिल बन समरस।

गंगा, ब्रह्मपुत्र, कृष्णा, कावेरी समाहित होकर,

भारत को बनाए संस्कृतियों का महासागर।

हम भी कहते “आई लव मुहम्मद”,
तुम क्यों सोचो तोड़ो प्रतिमाद?
जब हम तुम्हें गले लगाते

 कहां रह जाता विवाद?


कीचड़ हटाएं कंकड़ सरकाएं 

आओ मिलकर राह बनाएँ,
मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, 

गिरिजाघर  सजाएँ।

ईद, दिवाली संग मनाएँ,

क्रिसमस-पूजा गीत गाएँ।


भजन गूँजें, कव्वाली बजे,
भारत के घर-घर हर्ष दीप जले।

राम, कृष्ण हम सबके पुरखे,

हम बुद्ध,महावीर, नानक के,

जीसस,मोहम्मद हमारे उपास्य बनके ।

यह भूमि रही है विविधता में एक,
सनातन का यह शाश्वत नेक।


यही है भारत की अविरल पहचान,
जो जोड़े सबको, न करे विभाजन।
समस्त वसुधा कुटुंब एक परिवार,
यही है सनातन का स्वर अपार।

अमर नाथ ठाकुर, कोलकाता 28, सितंबर, 2025.


हम तुम्हें अपना समझते रहेंगे

  ✨ हम तुम्हें अपना समझते रहेंगे✨ तुम मानो या ना मानो, हम तुम्हें मना कर रहेंगे। थाली चाहे कितनी बार उड़ेल दो, हम तुम्हें खिला कर रहेंगे...