पहाड़-सरीखे विशाल झूठे वादे
की फेहरिस्त लिये
सागर की गहराइयों –सी आचरण की
निम्नता वाले
कभी धमकाते
कभी पुचकारते
कोयल की मधुरता
कौवे की कर्कशता
हंस की शालीनता
बाज़ की आक्रामकता
सब साथ लिये
बरसाती मेढ़क की तरह टर्र-टर्र
करते
चुनाव समय जो प्रकट होते
वो हमारे नेता होते ।
अमर नाथ ठाकुर , 10 अप्रैल , 2014 , कोलकाता ।
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