चोर जब पहरेदार बनेंगे
डाकू जब थानेदार सजेंगे ...
कोलाहल से क्यों न भंग होगी नीरवता
क्रन्दन से पस्त होगी मुस्कान की मधुरता
कायरता से तब पराजित होगी वीरता
चारों तरफ रहेगी ईमानदारी की विवशता
लूट से प्रताड़ित होती रहेगी पूरी व्यवस्था ।
दुर्योधनों का मान बढ़ेगा
दुःशासनों का शान चढ़ेगा ।
शकुनि के पाशे तब और जीतेंगे
पांडव आजीवन वनवास करेंगे ।
पूरा होगा द्रौपदियों का चीरहरण
होलिकाएँ करेंगीं बेशुमार नर्त्तन ।
हिरण्यकशिपुओं के जब भजन-कीर्त्तन चलेंगे ,
प्रह्लादों की सिसकी और क्रंदन फिर क्यों रूकेंगे !
प्रह्लादों की सिसकी और क्रंदन फिर क्यों रूकेंगे !
चोर जब पहरेदार बनेंगे
डाकू जब थानेदार सजेंगे ...
अमर नाथ ठाकुर , 30 मार्च , 2015 , कोलकाता ।
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