Tuesday, 21 April 2015

मेरे ईश्वर



अनंत मत
अनंत पथ
किन्तु एक लक्ष्य ।
विभिन्न रूप
विभिन्न तथ्य
किन्तु एक सत्य ।
कभी साकार
कभी निराकार
किन्तु वह फिर भी निर्विकार ।
वही कर्त्ता-धर्त्ता
वही संहार-कर्त्ता
किन्तु वही होता पालन - कर्त्ता । 
कभी सगुण  
कभी निर्गुण  
किन्तु गुण-अगुण से भी वह तटस्थ ।
वही दुःख - हर्त्ता
वही सुख - दाता
किन्तु  सुख-दुःख से भी वह विरक्त ।

वह असीम दया का सागर  , 
वह स्रोत अजस्र प्रेम  का । 
अनन्त आनंद का अक्षुण्ण धरोहर , 
मालिक कुशल-क्षेम का ।  
मेरा ईश्वर तेरा अल्ला उसका ईसा  । 
मेरे तेरे उसके हृदय में  बसा एक-सा ।  


अमर नाथ ठाकुर , 21 अप्रैल , 2015 , कोलकाता । 

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