Wednesday, 1 September 2021

मैं कृष्ण बनूँगा

    

उपदेश देना चुटकियों का काम 

इसलिये कृष्ण बनना है आसान .

अर्जुन न  , मैं  तो कृष्ण बनूँगा

धर्म  का ज्ञान ही मैं परोसूँगा .


चिड़िया की आँख पर लक्ष्य कैसे हम साधें

अगणित  अस्त्र - शस्त्र क्यों कर हम साजें  

द्रौपदी का चीर - हरण बर्दाश्त कैसे  करना  

राज सभा में अपमान का घूँट क्यों कर पीना 

क्यों कर वर्षों  का दुष्कर वनवास  झेलना 

कैसे फिर स्त्री बन अज्ञात वास में घुटना .


नामुमकिन है हमसे  गाण्डीव ढोना 

हमसे  नहीं सम्भव अब अर्जुन बनना . 


कैसे  करूं कौरव संहार  का कठिन  प्रण 

रण क्षेत्र में  कैसे  लाँघू मोह-माया-ग्रहण  

नीति विरुद्ध कैसे   कर्ण  वध करना   

निहत्थे द्रोण भीष्म को  कैसे  मारना  

क्यों न हो घोर कलयुग मुझसे न हो सकेगा  

इस कदर तरकश से तीर मेरा न निकषेगा . 

  

जन्म - जन्म के  पाप हमने किये हैं 

शत - शत बार अपमान हमने सहे हैं

 ये पुनरावृत्ति हम से न हो सकेगा 

ये अभिनय हम से  न हो सकेगा .


अबकी कुरुक्षेत्र का उपदेशक बनूँगा

कसम गीता का  गीता ज्ञान ही बाँटूंगा 

धर्म संस्थापना के लिए  सुदर्शन धरुंगा 

अबकी जन्म में सिर्फ  कृष्ण ही बनूंगा .



अमर नाथ ठाकुर , १ सितम्बर , २०२१ , कोलकाता .

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