उपदेश देना चुटकियों का काम
इसलिये कृष्ण बनना है आसान .
अर्जुन न , मैं तो कृष्ण बनूँगा
धर्म का ज्ञान ही मैं परोसूँगा .
चिड़िया की आँख पर लक्ष्य कैसे हम साधें
अगणित अस्त्र - शस्त्र क्यों कर हम साजें
द्रौपदी का चीर - हरण बर्दाश्त कैसे करना
राज सभा में अपमान का घूँट क्यों कर पीना
क्यों कर वर्षों का दुष्कर वनवास झेलना
कैसे फिर स्त्री बन अज्ञात वास में घुटना .
नामुमकिन है हमसे गाण्डीव ढोना
हमसे नहीं सम्भव अब अर्जुन बनना .
कैसे करूं कौरव संहार का कठिन प्रण
रण क्षेत्र में कैसे लाँघू मोह-माया-ग्रहण
नीति विरुद्ध कैसे कर्ण वध करना
निहत्थे द्रोण भीष्म को कैसे मारना
क्यों न हो घोर कलयुग मुझसे न हो सकेगा
इस कदर तरकश से तीर मेरा न निकषेगा .
जन्म - जन्म के पाप हमने किये हैं
शत - शत बार अपमान हमने सहे हैं
ये पुनरावृत्ति हम से न हो सकेगा
ये अभिनय हम से न हो सकेगा .
अबकी कुरुक्षेत्र का उपदेशक बनूँगा
कसम गीता का गीता ज्ञान ही बाँटूंगा
धर्म संस्थापना के लिए सुदर्शन धरुंगा
अबकी जन्म में सिर्फ कृष्ण ही बनूंगा .
अमर नाथ ठाकुर , १ सितम्बर , २०२१ , कोलकाता .
No comments:
Post a Comment