आँसुओं की खुशी एवं हँसी का क्रन्दन
यह न कोई व्यतिक्रम –
आते आँसू खुशी में एवं दुःख में मंदहास –
क्योंकि यह तो मृत्यु है , जब मुझ में गति है –
जीवन तो तब आएगा
रुक जाएगी जब साँस –
जब पहनूँगा मृत्यु-पुष्प का हार
वह होगा जीवन का द्वार –
जो इस “जीवन” के पार
यही है इस “जीवन” का सार –
----------------------------------------------------अमरनाथ ठाकुर,१९९९ .
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