बाबा चिलम पीते और रखते एक टमरेला -
सिर पे सफेद कपड़ा बांधें जैसे लटका हो बालों का जूडा--
पैरों में न कोई जूता -चप्पल और आसनी टाट का --
अल्ला मालिक के उद् घोष से न पालना नादानी -
कौपीन धारण करें जो और जलाएँ दिन -रात धूनी --
अहं , इच्छा , एवं विषय-आसक्ति की नित उसमें आहूति डालें-
मस्जिद में निवासें जो उस बाबा की हम अनुभूति पालें --
बाबा को नमन कर , शरण में जब जाओगे --
भक्ति -उपरांत परम आनंद सहज ही पाओगे ---
बाबा भक्तों को समर्पित -
अमरनाथ ठाकुर , २००८
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