Thursday, 8 December 2011

साईं का वर्त्तमान





बाबा चिलम पीते और रखते एक  टमरेला -

सिर पे सफेद कपड़ा बांधें जैसे लटका हो बालों का जूडा--

पैरों में न कोई जूता -चप्पल  और आसनी टाट का --

अल्ला मालिक के उद् घोष  से न पालना नादानी -

कौपीन धारण करें जो और जलाएँ दिन -रात धूनी --

अहं , इच्छा  , एवं विषय-आसक्ति की नित उसमें आहूति डालें-

मस्जिद में निवासें जो उस बाबा की हम अनुभूति पालें --


बाबा को नमन कर  , शरण में जब जाओगे --

भक्ति -उपरांत परम आनंद सहज ही पाओगे ---





बाबा भक्तों को समर्पित -
अमरनाथ  ठाकुर , २००८ 

No comments:

Post a Comment

मैं हर पल जन्म नया लेता हूँ

 मैं हर पल जन्म लेता हूँ हर पल कुछ नया पाता हूँ हर पल कुछ नया खोता हूँ हर क्षण मृत्यु को वरण होता हूँ  मृत्यु के पहले जन्म का तय होना  मृत्य...