कुछ महसूस हुआ ?
आज का सवेरा बिलकुल नया था . कहीं कुहरे का अता - पता तक नहीं .
सूरज नयी किरणें बिखेर रहा था .यह पीलिया नहीं था . इसमें सुनहरापन था .
काले बादल दूर जाते नज़र आ रहे थे .
चिड़ियों की चहचहाहट में दर्द का नामोनिशान तक नहीं था .
ओस - बूँदें मोती सदृश चमक रहे थे .
मंद - मंद वायु इस ठंडक में मनोहारी शीतलता प्रदान कर रहा था .
क्यों न हो यह जो नया साल २०११ है .
लक्षण तो सारे नज़र आ रहे हैं कि न कहीं लूट होगी , न खसोट , न कहीं दगाबाजी और न कहीं अत्याचार . न कोई घोटाले होंगे , न कोई भ्रष्टाचार . सत्य का बोलबाला होगा , इमानदारी अपनी पैठ जमाएगी . काम करने वाले फल पाएंगे . दोस्ती जीतेगी , दुश्मनी हारेगी . हर जगह प्यार और भाईचारे का वातावरण होगा . अमन - चैन की ही वंशी बजेगी . न्याय का साम्राज्य फैलेगा . राजा का महल धराशायी हो जाएगा , काल अपनी मांड में होगा .
आइये मन में ठान लें कि नये साल २०११ का यही व्रत हो .
भगवान हम सब लोगों के लिये नया वर्ष मंगलकारी करे !
अमरनाथ ठाकुर .
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