Thursday, 8 December 2011

आत्म -चिन्तन


हम वही किया करते हैं जिसके दूसरों के द्वारा किये जाने  पर हम दूसरों की घोर आलोचना किया करते हैं .
हम वही बोलते हैं जिसके दूसरों के द्वारा बोले जाने  पर हम दूसरों पर नाक -भौं सिकोड़ते हैं .
हम वही गाते हैं जो दूसरों के द्वारा गाये  जाने पर हममें झल्लाहट पैदा करती  है .

ज़रा सोचिये  ऐसा करने , बोलने  एवं गाये जाने पर दूसरों की हमारे ऊपर क्या प्रतिक्रिया होती होगी .


अतः कुछ भी करने , बोलने अथवा गाने के पहले हम आत्म -चिन्तन क्यों न कर लिया करें कि इसके करने से दूसरे असुविधा तो महसूस नहीं करेंगे .

Gandhian Talisman से प्रेरित यह तरीका वो जादुई  तराजू/लगाम  है जो हमारे व्यवहार एवं आचरण को संतुलित/ नियंत्रित करेगा .

अमरनाथ ठाकुर , 22 मई , 2011.

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