धर्म भाषायी -जीवन का व्याकरण है .
व्याकरण से भाषा सशक्त और सुगठित होती है . भाषा की शुद्धता व्याकरण से मापी जाती है .व्याकरण के बिना भाषा अर्थहीन हो सकती है . अर्थ रहित अथवा निरर्थक भाषा संचार -माध्यम नहीं हो सकती . अलग -अलग भाषाओं का अलग-अलग व्याकरण है किन्तु सभी व्याकरण उस भाषा विशेष के लिए वही कार्य करती है . सुना है कभी कि एक व्याकरण दूसरे व्याकरण के लिए व्यवधान खड़ी करती है ?
धर्म जीवन को सार्थक एवं सरस करता है . जीवन धर्म से अनुशासित होता है .धर्म जीवन को दिशा प्रदान करता है . धर्म जीवन को भटकने से बचाता है . धर्म ही जीवन का पालन करता है . जितने लोग उतने धर्म हो सकते हैं किन्तु सारे धर्म एक धर्म होते हैं . क्योंकि यह एक ही लक्ष्य की ओर अग्रेसित करता है . धर्म भेद नहीं पैदा करता . धर्म बांटता नहीं , जोड़ता है . एक का धर्म दूसरे के धर्म के आड़े नहीं आ सकता . धर्म धर्म के बीच घृणा पैदा नहीं करता . धर्म धर्म के बीच तो प्रेम होता है . धर्म अनुशासित जीवन परम आनंद को प्राप्त होता है . इसलिए सब अपने धर्म का पालन करें .
अमरनाथ ठाकुर 11 मई , 2011.
व्याकरण से भाषा सशक्त और सुगठित होती है . भाषा की शुद्धता व्याकरण से मापी जाती है .व्याकरण के बिना भाषा अर्थहीन हो सकती है . अर्थ रहित अथवा निरर्थक भाषा संचार -माध्यम नहीं हो सकती . अलग -अलग भाषाओं का अलग-अलग व्याकरण है किन्तु सभी व्याकरण उस भाषा विशेष के लिए वही कार्य करती है . सुना है कभी कि एक व्याकरण दूसरे व्याकरण के लिए व्यवधान खड़ी करती है ?
धर्म जीवन को सार्थक एवं सरस करता है . जीवन धर्म से अनुशासित होता है .धर्म जीवन को दिशा प्रदान करता है . धर्म जीवन को भटकने से बचाता है . धर्म ही जीवन का पालन करता है . जितने लोग उतने धर्म हो सकते हैं किन्तु सारे धर्म एक धर्म होते हैं . क्योंकि यह एक ही लक्ष्य की ओर अग्रेसित करता है . धर्म भेद नहीं पैदा करता . धर्म बांटता नहीं , जोड़ता है . एक का धर्म दूसरे के धर्म के आड़े नहीं आ सकता . धर्म धर्म के बीच घृणा पैदा नहीं करता . धर्म धर्म के बीच तो प्रेम होता है . धर्म अनुशासित जीवन परम आनंद को प्राप्त होता है . इसलिए सब अपने धर्म का पालन करें .
अमरनाथ ठाकुर 11 मई , 2011.
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